The smart Trick of sidh kunjika That Nobody is Discussing
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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं click here संपूर्णम् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः